प्यार की भाषाएं: कुंवर नारायण की कविता
किसी भी भाषा की समृद्धि उसके साहित्य को समृद्ध करती है. पर प्यार करने के लिए भाषा की समृद्धि नहीं ...
किसी भी भाषा की समृद्धि उसके साहित्य को समृद्ध करती है. पर प्यार करने के लिए भाषा की समृद्धि नहीं ...
आदमी के तेज़ी से आंकड़ों में बदलते जाने के विरोधाभास पर रौशनी डालती कुंवर नारायण की कविता, आम आदमी के ...
चाहे पेंच कसना हो या बातचीत, उसके साथ सहज रहना ज़रूरी है. पेंच को बेवजह कसने से उसकी चूड़ी मर ...
यक़ीन करना अच्छी बात है, पर यक़ीन करने की जल्बाज़ी से क्या कुछ हो सकता है, बता रही है कुंवर ...
कविता के बिना भी ज़िंदगी बिताई जा सकती है, बावजूद इसके हमारी ज़िंदगी में कविता होने पर ज़िंदगी के मायने ...
हम हर चीज़ को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं, पर मौत की अनदेखी नहीं कर सकते हैं. कुंवर नारायण की छोटी-सी ...
हम सभी जल्दी से जल्दी अपने घर पहुंचना चाहते हैं. घर पहुंचने के दौरान की जानेवाली यात्रा को बयां कर ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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