बुआजी: हूबनाथ पांडे की छोटी कहानी
बुआ-फूफा का 65 साल का साथ था. विवाहित जोड़े का साथ कितना भी लंबा हो, किसी एक तो पहले जाना ...
बुआ-फूफा का 65 साल का साथ था. विवाहित जोड़े का साथ कितना भी लंबा हो, किसी एक तो पहले जाना ...
ज़िंदगी में सबकुछ सामान्य चल रहा हो या न चल रहा हो, पर कभी-कभी कोई उमंग मन के साथ-साथ शरीर ...
कभी-कभी हम अपनों के बीच रहकर भी नितांत अकेले होते हैं. यदि इस अकेलेपन को समझने वाला कोई न हो ...
अपनी शादी की पच्चीसवीं सालगिरह को कितने उल्लास से जीना चाहते थे रीना और रंजन. पर नियति, उसने तो अलग ...
मालविका, जिसके जीवन में सबकुछ साफ़-सुथरा यानी क्रिस्टल क्लिअर चल रहा था, क्या वाक़ई सबकुछ वैसा था? या फिर वही ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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