बादल राग: सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता
कविता को नया स्वर देनेवाला निराला की यह कविता किसान-मज़दूर वर्ग की वेदना बादलों तक पहुंचाने का काम करती है. ...
कविता को नया स्वर देनेवाला निराला की यह कविता किसान-मज़दूर वर्ग की वेदना बादलों तक पहुंचाने का काम करती है. ...
प्रकृति का सहचर्य क्यों ज़रूरी है और हम कैसे यह सहचर्य पा सकते हैं, बता रही है सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ...
दुनिया एक बाज़ार है. यहां हर चीज़ की क़ीमत चुकानी होती है. आज हम देश की आज़ादी का अमृत महोत्सव ...
जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य की तुलना सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने एक किसान से की है. रूपकों के इस्तेमाल ...
हम हर चीज़ को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं, पर मौत की अनदेखी नहीं कर सकते हैं. कुंवर नारायण की छोटी-सी ...
अपनी कविताओं में अपने जीवन की छोटी-मोटी घटनाओं का बरबस ज़िक्र करके समाज के तानेबाने और देश-दुनिया की स्थिति बयां ...
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना अपनी बाल कविताओं के लिए जाने जाते थे. कविता मेघ आए में उन्होंने आसमान में घिर आए ...
छायावादी कवि सूर्यकांत निराला की कविता ‘भिक्षुक’ में एक भिक्षुक का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया गया है. भिक्षुक और उसके ...
क्या होता है, जब लंबे समय तक शहर में रहने के बाद एक दिन आप गांव जाते हैं? क्या गांव ...
‘बुलाती है मगर जाने का नहीं’ दिवंगत शायर राहत इंदौरी की मशहूर ग़ज़लों में एक है. यह ग़ज़ल दुनियादारी की ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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