अप्पदीपो भव: हूबनाथ पांडे की कविता
कविताएं मुश्क़िल समय में संबल देने का काम करती रही हैं. आज के इस कठिन संक्रमण काल में कवि हूबनाथ ...
कविताएं मुश्क़िल समय में संबल देने का काम करती रही हैं. आज के इस कठिन संक्रमण काल में कवि हूबनाथ ...
समकालीन उर्दू के जाने-माने शायर हैं शकील जमाली. उनकी नज़्म ‘उलटे सीधे सपने पाले बैठे हैं’ समाज के विरोधाभासों और ...
सड़क पर एक आदमी जा रहा है और कवि अशोक वाजपेयी दुनिया से बेख़बर उस आदमी का निरीक्षण कर रहे ...
यूनाइटेड नेशन्स में वक़्ता, टेड वक्ता, शिक्षाविद्, लेखक, अभिनेता और गीतकार दीपक रमोला के कविता संग्रह ‘इतना तो मैं समझ ...
गेहूं की जीवनयात्रा का इतना सटीक विश्लेषण आपने शायद ही कहीं पढ़ा हो. कविता गेहूं का अस्थि विसर्जन में युवा ...
पेशे से पत्रकार प्रताप सोमवंशी अपनी ग़ज़लनुमा कविताओं के लिए जाने जाते हैं. कविता ‘झूठ कहूं तो दिल तैयार नहीं ...
नौ लाइनों की इस कविता को छोटी मत समझिए. अज्ञेय की यह रचना हिंदी की उन कविताओं में शामिल है, ...
हमारी भाषा कैसे-कैसे बेख़बर अत्याचार करती है. आप किसी को जलेबी जैसा सीधा कहकर उसका मज़ाक उड़ाते हैं. इस प्रचलित ...
‘लड़कियां बोझ होती हैं’ हमारे समाज की इस मानसिकता को आईना दिखाती कवि हूबनाथ पांडे की यह कविता न केवल ...
असल गांव और फ़ाइलों के गांव में क्या फ़र्क़ होता है? इसे आप अदम गोंडवी की इस छोटी-सी कविता से ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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