यार जुलाहे: गुलज़ार की कविता
जुलाहे की तरह बारीक़ी से रिश्तों के धागे बुनने का हुनर अगर हम सबको आता तो हमारी ज़िंदगी वाक़ई गुलज़ार ...
जुलाहे की तरह बारीक़ी से रिश्तों के धागे बुनने का हुनर अगर हम सबको आता तो हमारी ज़िंदगी वाक़ई गुलज़ार ...
कहने को तो आजकल कहा जाने लगा है कि एक बेटी मां से कहीं ज़्यादा पिता के क़रीब होती है. ...
मधुशाला और अग्निपथ जैसी गंभीर रचनाओं के कवि हरिवंशराय बच्चन उम्दा बाल कविताएं भी लिखते थे. उनकी कविता ‘आ रही ...
कुछ कविताएं दिल में इस तरह उतर जाती हैं कि किसी संघर्ष का एंथम बन जाती हैं. वर्ष 2012 के ...
वर्षों पहले लिखी अदम गोंडवी की छोटी-सी रचना ‘घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है’ आज के सामाजिक ...
मां अपने बच्चों के लिए क्या नहीं करती? ख़ासकर जब उसे लगे कि बच्चा कमज़ोर, आवारा और लापरवाह है तो ...
सुमित्रानंदन पंत की सबसे ज़्यादा पढ़ी गई कविताओं में एक ‘आ: धरती कितना देती है’ मनुष्य के स्वार्थी और भाग्यवादी ...
बदलते वक़्त और हालात को ख़ूबसूरती और सच्चाई से रेखांकित करती मरहूम शायर राहत इंदौरी की ग़ज़ल इत्मीनान से पढ़ने ...
आज का दौर हो या दशकों पहले का. जब कभी तानाशाही जैसा कुछ दिखाई देता है तो मीडिया भले ही ...
ईसा मसीह के बलिदान दिवस अर्थात गुड फ्रायडे का महत्व केवल ईसाई धर्म में ही नहीं है, बल्कि पूरी मानवता ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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