मिलो गले से गले बार बार होली में: नज़ीर बनारसी की नज़्म
गंगा-जमुनी संस्कृति के जाने-माने शायर नज़ीर बनारसी ने तमाम सामाजिक मुद्दों पर लिखते थे. उन्होंने ज़िंदगी के तमाम रंगों पर ...
गंगा-जमुनी संस्कृति के जाने-माने शायर नज़ीर बनारसी ने तमाम सामाजिक मुद्दों पर लिखते थे. उन्होंने ज़िंदगी के तमाम रंगों पर ...
मूलत: कहानीकार डॉ संगीता झा की होली पर लिखी इस लंबी कविता को आप एक काव्यात्मक कहानी की तरह पढ़ ...
मां और बच्चे का नाता बच्चे के दुनिया में क़दम लेने के नौ महीने पहले ही बन जाता है. पत्रकार-कवि ...
लेखिका-कवयित्री मनीषा कुलश्रेष्ठ के कविता संग्रह प्रेम की उम्र के चार पड़ाव की यह कविता औरत और मर्द के मूल ...
छोटी लेकिन मारक कविताओं में अदम गोंडवी का कोई सानी नहीं था. आज पेश है कबीर परंपरा के कवि रहे ...
हिंदी के युवा कवियों में गीत चतुर्वेदी एक प्रमुख हस्ताक्षर हैं. उनकी कविताएं अपने अंदर गहरा दर्शन समेटे होती हैं. ...
मौजूदा दौर के जानेमाने उर्दू शायर और गीतकार शकील आज़मी की हिंदी में प्रकाशित पहली किताब ‘परों को खोल’ में ...
दलित साहित्य का बड़ा नाम श्यौराज सिंह बेचैन अपनी कविताओं में दलितों, स्त्रियों की बदहाली और संघर्ष की बात करते ...
यह आंकड़ों का दौर है. सबकुछ आंकड़ों द्वारा नापा जा रहा है. ऐसे में कैसे सभी चीज़ों के मायने बदल ...
पंकज चतुर्वेदी की यह कविता वैसे तो है बहुत छोटी और सरल-सी, पर इसे दोबारा पढ़िए, इसका गहरा अर्थ आपको ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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