किताब पढ़कर रोना: रघुवीर सहाय की कविता
हम सभी कभी-न-कभी कोई किताब पढ़कर रो चुके हैं. क्यों किताब हमें रोने का साहस देती है, बड़ी ही संजीदगी ...
हम सभी कभी-न-कभी कोई किताब पढ़कर रो चुके हैं. क्यों किताब हमें रोने का साहस देती है, बड़ी ही संजीदगी ...
केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘बसंती हवा’ अल्हड़ अल्मस्त बसंती हवा की आत्मकथा जैसी है. हवा हूं, हवा, मैं बसंती हवा ...
एक बेरोज़गार मन को बांचती है लोकप्रिय कवयित्री अनामिका की कविता ‘बेरोज़गार’. किसी कॉलसेंटर के घचर-पचर-सा रतजगा जीवन क्या जाने ...
मुकम्मल इंसान बनने के चक्कर में हम इतने प्राकृतिक हो गए हैं कि अपना हिस्सा मांगने में भी संकोच करने ...
हिंदी में दलित लेखन का एक बड़ा नाम ओमप्रकाश वाल्मीकि अपनी रचनाओं में जातीय अपमान और उत्पीड़न का जीवंत चित्र ...
धरती के दूसरे जीवों से मनुष्य को क्या अलग करता है? सवाल पूछने की हमारी अनूठी क्षमता. दुनिया में आज ...
गीत चतुर्वेदी की कविता दूध के दांत बचपन से बुढ़ापे तक की यात्रा के दौरान हमारी सोच की प्रक्रिया में ...
जब जीवन में चुनौतियां मिलती हैं तो आप चुपचाप खड़े होकर उनसे जीत नहीं सकते. आपको कमर कसकर उनका सामना ...
देश लोगों से मिलकर बनता है, पर देश अपने सभी लोगों के लिए एक जैसा नहीं होता. इसकी सटीक व्याख्या ...
हैदराबाद की जानी-मानी एंडोक्राइन सर्जन डॉ संगीता झा की कविताएं थोड़ी लंबी ज़रूर होती हैं, पर उन्हें पढ़ते हुए आपके ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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