मटर छीलते हुए: अरुण चन्द्र रॉय की कविता
जब हम कोई काम कर रहे होते हैं, तब हम केवल वही काम नहीं कर रहे होते हैं. गृहणियां मटर ...
जब हम कोई काम कर रहे होते हैं, तब हम केवल वही काम नहीं कर रहे होते हैं. गृहणियां मटर ...
औरतें ही हैं, जिन्होंने कभी प्यार से तो कभी पसीने से इस दुनिया को आकार दिया है. कवि अरुण चन्द्र ...
शांति यह शब्द विसंगतियों से भरा है. जो सबसे ज़्यादा शांति की बातें करता है, कहीं न कहीं वह युद्ध ...
महानगरों की आपाधापी में हम जीवन के ही नहीं, मौसम के भी कई रंग-ढंग मिस कर देते हैं. उनमें से ...
भूख की कई परिभाषाएं हो सकती हैं, जाने-माने कवि अरुण चन्द्र रॉय की कविता कुछ परिभाषाएं बता रही है. कई ...
भारत ही क्या दुनिया के हर समृद्ध कोने के पीछे विस्थापित मज़दूरों की मेहनत है. कवि अरुण चन्द्र रॉय अपनी ...
कहते हैं मनुष्य ईश्वर की सबसे ख़ूबसूरत रचना है और मनुष्यों में भी स्त्री उसकी रचनात्मकता का सर्वोच्च उदाहरण है. ...
देश लोगों से मिलकर बनता है, पर देश अपने सभी लोगों के लिए एक जैसा नहीं होता. इसकी सटीक व्याख्या ...
एक स्त्री के लिए मायके का क्या महत्व है, वह मायके लौटी स्त्री में आने वाले बदलावों से पता चलता ...
एक आम हिन्दुस्तानी की पहुंच से कितनी दूर है हिन्दुस्तान की राजधानी और वहां रहनेवाले हिन्दुस्तान के भाग्यविधाता. कवि अरुण ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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