बड़े घर की बेटी: कहानी बनते-बिगड़ते रिश्तों की (लेखक: मुंशी प्रेमचंद)
घर को संभालने, परिवार में शांति बनाए रखने और रिश्तों की नाज़ुक डोर को उलझने से बचाए रखने में घर ...
घर को संभालने, परिवार में शांति बनाए रखने और रिश्तों की नाज़ुक डोर को उलझने से बचाए रखने में घर ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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