शहतूत की शाख़ पे बैठी मीना: गुलज़ार की कविता
ट्रैजिडी क्वीन मीना कुमारी की निजी डायरियों के वारिस गुलज़ार साहब ने उनके लिए एक छोटी-सी कविता ‘शहतूत की शाख़ ...
ट्रैजिडी क्वीन मीना कुमारी की निजी डायरियों के वारिस गुलज़ार साहब ने उनके लिए एक छोटी-सी कविता ‘शहतूत की शाख़ ...
आज के भारत में महात्मा गांधी (बापू) की तलाश कर रही है हूबनाथ पांडे की कविता ‘बापू’. मैं जब तक ...
धरती हमें इतना कुछ देती है, क्या हमें भी इसे कुछ नहीं देना चाहिए? बता रही है हूबनाथ पांडे की ...
व्यवस्था विरोधी कवियों की सूची में बाबा नागार्जुन का नाम काफ़ी ऊपर आता है. उन्होंने इंदिरा गांधी के तानाशाह शासन ...
केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘बसंती हवा’ अल्हड़ अल्मस्त बसंती हवा की आत्मकथा जैसी है. हवा हूं, हवा, मैं बसंती हवा ...
एक बेरोज़गार मन को बांचती है लोकप्रिय कवयित्री अनामिका की कविता ‘बेरोज़गार’. किसी कॉलसेंटर के घचर-पचर-सा रतजगा जीवन क्या जाने ...
एक औरत को मरने की भी फ़ुर्सत नहीं होती, ख़ासकर जब वह मां होती है. लोकप्रिय कवयित्री अनामिका की कविता ...
आज़ादी के कुछ साल बाद जब जनता की उम्मीदों पर पानी फिरता दिखा, तब उस दौर के कवियों, लेखकों ने ...
इंसान पहले चीज़ें जमा करता है, फिर उन चीज़ों की देखभाल करता है और एक दिन पाता है कि उसकी ...
अगरआपका जन्म नारी के रूप में हुआ है तो आपको एक आदर्श नारी बनने के बजाय एक इंसान बनने का ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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