धान रोपती औरतों का प्यार: अरुण चन्द्र रॉय की कविता
औरतें ही हैं, जिन्होंने कभी प्यार से तो कभी पसीने से इस दुनिया को आकार दिया है. कवि अरुण चन्द्र...
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औरतें ही हैं, जिन्होंने कभी प्यार से तो कभी पसीने से इस दुनिया को आकार दिया है. कवि अरुण चन्द्र...
कई बार अच्छे लोगों से भी परिस्थितिवश बुरा काम हो जाता है. और वे सारी ज़िंदगी उस एक बुरे काम...
आजकल तस्वीरें लेने का चलन इतना ज़्यादा हो गया है, कि हम हर हर बात पर सेल्फ़ी लेने लग जाते...
गर्मियों के मौसम में, जब सूरज महाराज अपनी पूरी छटा बिखेर रहे होंगे, अपनी आंखों को चौंधियाने से बचाने के...
जिस उम्र में आमतौर पर क्रिकेटर्स खेल से दूरी बनाकर कोचिंग में उतरते हैं, उस उम्र में क्रिकेट मैदान पर...
कविता कन्यादान में मां विदा हो रही अपनी बेटी को पारंपरिक सीखों से हटकर कुछ नई बातें बता रही है....
अब वह मौसम आ गया है जब आप ओपन शूज़ पहनकर अपने पैरों की सुंदरता पर रीझ सकती हैं और...
मौसम ऐसा हो चला है कि दही खाए बिन रहा न जाए और जैसे-जैसे पारा चढ़ता जाए रायते के बिना...
मोहब्बत की कच्ची दीवारों के टूटने पर दाग़ लगने का डर होता है. अमृता प्रीतम की कविता इस हक़ीक़त को...
जितना आदिम युद्ध है, उतना ही पुराना है उसके विरोध की कहानी. युद्ध के ख़िलाफ़ एक मार्मिक अपील है, साहिर...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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