घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है: अदम गोंडवी की कविता
वर्षों पहले लिखी अदम गोंडवी की छोटी-सी रचना ‘घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है’ आज के सामाजिक ...
वर्षों पहले लिखी अदम गोंडवी की छोटी-सी रचना ‘घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है’ आज के सामाजिक ...
अदम गोंडवी आम आदमी के कवि थे. आवाम की तकलीफ़ हमेशा उनकी कलम का हिस्सा रही. अपनी कविताओं से उन्होंने ...
इतिहास बदलने की ख़्वाहिश हर शासक की होती है, जबकि ज़रूरत वर्तमान को बेहतर करने की होती है. अदम गोंडवी ...
इतिहास अपने आप को ख़ुद ही करेक्ट कर लेता है, बशर्ते हमें उसकी दुखती रगों को बार-बार नहीं छेड़ना चाहिए. ...
देश के मेहनतकश वर्ग और गांधी का नाम लेकर नेतागिरी करनेवालों की ज़िंदगी में कितना फ़र्क़ है, अदम गोंडवी यह ...
अदम गोंडवी जनता के कवि माने जाते हैं. उन्होंने हमेशा आम जन के सरोकारों पर अपनी बात बेबाकी से रखी. ...
वर्ष 1947 में आज ही के दिन यानी 22 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के परसपुर (गोंडा) के आटा ग्राम में ...
भूख के सामने दुनियाभर के शबाब का कोई मोल नहीं होता, बता रही है अदम गोंडवी यह कविता. ज़ुल्फ़-अंगड़ाई-तबस्सुम-चांद-आईना-गुलाब भुखमरी ...
हम आज़ादी के 75वें साल का जश्न मना रहे हैं, पर आज भी हमारे गांवों में एक बड़ा तबका अपने ...
वह कौन-कौन सी परिस्थितियां है, जब आदमी अपना ईमान बेचने को मजबूर हो जाता है? अदम गोंडवी की यह कविता ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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