‘भारत में दलित, भारत के दलित’ श्रृंखला की पिछली कड़ी में सामाजिक चिंतक, लेखक और दयाल सिंह कॉलेज, करनाल के...
संवेदनाएं किसी पहचान से ज़्यादा तीव्र और सार्वभौमिक होती हैं. हम भले ही किसी को न जानते हों, पर उसे...
काला जल जैसे हिंदी के कालजयी उपन्यास के लेखक गुलशेर ख़ां शानी की कहानियां भी समाज के विरोधाभासों और विडंबनाओं...
औरतों का आत्मनिर्भर होना एक बड़े वर्ग को बर्दाश्त नहीं होता. अपने दम पर नाम बना रही औरतों को बदनाम...
बेमेल विवाह का दर्द झेल रही एक जवान पत्नी की व्यथा कथा. ज़िंदगी के दूसरे पहर में यदि सूरज न...
आजकल के दौर में छुट्टियां हुईं नहीं कि सभी सोचते हैं कि कहीं घूम आया जाए. सप्ताहांत पर अपने शहर...
‘भारत में दलित, भारत के दलित’ श्रृंखला में आज सामाजिक चिंतक, लेखक और दयाल सिंह कॉलेज, करनाल के पूर्व प्राचार्य...
धूमिल की रचनाओं में लंबी कविता ‘मोचीराम’ की विशेष जगह है. जूते की मरम्मत करनेवाला एक आदमी समाज के हर...
ऑलिव ब्रांच को शांति की पेशकश के रूप में देखा जाता है. जब युद्ध लड़ रहे दो मुल्क़ लड़ते-लड़ते थक...
आजकल बच्चे सामान्य और पारंपरिक खाना खाने से बचते हैं, जबकि बतौर पैरेंट्स हमें पता है कि पारंपरिक खानपान ही...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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