जो फ़िल्म आप पिछले 46 सालों में 46 से ज़्यादा बार देख चुके हों, वो फ़िल्म तो आपकी पसंदीदा फ़िल्मों...
म्यूज़िकल फ़िल्म की अगर बात करूं तो आपके जहन में सबसे पहले घंटी किस फ़िल्म के लिए बजती है? साउंड...
ज़ाहिर है इस सिरीज़ में मैं रोहित शेट्टी की गोलमाल सिरीज़ की बात तो नहीं ही करूंगी. जब रोहित शेट्टी...
मुंबई के इतिहास (या वर्तमान) से अगर अंडरवर्ल्ड, स्मगलर और रॉबिन हुड मार्का ग़रीबों की मदद करने वाले गैंगस्टर से...
पिछले कुछ समय से ख़ासकर #metoo मूवमेंट के बाद हम मुखर हो कर फ़ेमिनिज़्म और स्त्री से जुड़े मुद्दों पर...
अरे ओ…; तेरा क्या होगा...!; तुम्हारा नाम क्या है …; … आदमी थे?; ले अब ….खा चलिए, इसे पहेली ही...
कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो जिन्हें सुनते हुए आपके अंदर एक ज़िंदगी अंगड़ाई लेने लगती है. कुछ उसी तरह...
ये दिन क्या आए, लगे फूल हंसने, देखो बसंती-बसंती, होने लगे मेरे सपने… अगर आपने यह गाना सुना है, छोटी...
पलट कर देखती हूं तो सत्तर के दशक में फ़िल्मों की दो तरह की धाराएं साथ-साथ तेजी से उभर कर...
कुछ फ़िल्में, घटनाएं दिलो-दिमाग़ में बस एकदम से छप जाती हैं. आज इसलिए भी मैं उस दिन को याद कर...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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