तुम मुझे मिलीं: पंकज चतुर्वेदी की कविता
विपरीत समय में प्रेम ही आशा बनकर जीने का उत्साह देता है. प्रेम मिलने को ख़ूबसूरती से जताती है पंकज ...
विपरीत समय में प्रेम ही आशा बनकर जीने का उत्साह देता है. प्रेम मिलने को ख़ूबसूरती से जताती है पंकज ...
बुरे से बुरे समय में एक कवि की दृष्टि अच्छी चीज़ें तलाश लेती है. पंकज चतुर्वेदी की यह छोटी-सी कविता ...
हम भारतीय अपने पुरुषत्व को लेकर कितने सजग रहते हैं, पंकज चतुर्वेदी की यह कविता बिना दिल के होते जा ...
पंकज चतुर्वेदी की यह कविता वैसे तो है बहुत छोटी और सरल-सी, पर इसे दोबारा पढ़िए, इसका गहरा अर्थ आपको ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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