किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है: राहत इंदौरी की ग़ज़ल
मरहूम शायर राहत इंदौरी की यह ग़ज़ल उनके द्वारा पढ़ी गई सबसे लोकप्रिय ग़ज़लों में एक है. हिंदुस्तान पर सबके ...
मरहूम शायर राहत इंदौरी की यह ग़ज़ल उनके द्वारा पढ़ी गई सबसे लोकप्रिय ग़ज़लों में एक है. हिंदुस्तान पर सबके ...
जेएनयू परिसर के मशहूर कवि रहे रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की लंबी कविता कथा देश की में हमें भारत के साथ-साथ ...
अपने भूखे पेट को भरने की जुगत करते-करते एक समय आता है जब इंसान भगवान के अस्तित्व पर सवाल खड़े ...
भारत में यादें, जल्दी पुरानी हो जाती हैं. यहां तक कि हम अपना भोगा दुख तक भूल जाते हैं. जय ...
धरम की बनावट और समाज के ताने-बाने में इसकी बुनावट को कवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की यह कई परतों को ...
छायावादी कवि सूर्यकांत निराला की प्रसिद्ध कविता ‘वह तोड़ती पत्थर’ केवल एक मज़दूर स्त्री की दशा ही नहीं प्रस्तुत करती, ...
जेएनयू कैम्पस के कवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ लीक से हटकर कविताएं करते थे. उनकी कविताओं का इतिहास बोध कमाल होता ...
जेएनयू कैम्पस के अपने कवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ अपनी कविताओं से समाज के दोहरे चेहरे को उघाड़ने में ज़रा भी ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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