उसकी मर्ज़ी से : हूबनाथ पांडे की कविता
कविता ‘उसकी मर्ज़ी’ दुनिया में हो रहे ज़ुल्म और नाइंसाफ़ी के प्रतिरोध में उस शक्ति या सत्ता से सवाल है, ...
कविता ‘उसकी मर्ज़ी’ दुनिया में हो रहे ज़ुल्म और नाइंसाफ़ी के प्रतिरोध में उस शक्ति या सत्ता से सवाल है, ...
कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता निदा फ़ाज़ली की मशहूर ग़ज़ल है. सबकुछ हासिल करने को उतावले हर इंसान ...
पत्रकार, लेखिका सोनम गुप्ता की यह कविता उस सच्चाई को हर्फ़ दर हर्फ़ बयां करती है, जिससे मध्यमवर्ग की युवतियों ...
एक पिता के लिए बेटियां क्या होती हैं, बता रही है कुंवर बेचैन की कविता ‘बेटियां’. बेटियां शीतल हवाएं हैं ...
हम चाहें या न चाहें, वक़्त हमें बदल ही देता है. फ़ादर्स डे विशेष कविता ‘पिता के घर लौटने पर’ ...
कूड़ा बीनते बच्चों को देखकर किसका मन द्रवित नहीं होता होगा! कूड़ा बीनते बच्चों को देखकर कोई भी संवेदनशील मन ...
हाल के समय में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सड़कों पर तेज़ी से दौड़ रहे, तोड़-फोड़ कर रहे और ...
चाहे लाख कोशिश कर लें संघर्ष करके अपने बूते पर सफलता हासिल करनेवालों को कोई हरा नहीं सकता. ऐसे ही ...
वक़्त का चूल्हा जलते रहने के लिए ईंधन मांगता है. गुलज़ार साहब की कविता ईंधन उपलों की टेक लेकर बचपन ...
मां और बेटी दो अलग-अलग पीढ़ियों और सोच का प्रतिनिधित्व करती हैं. बावजूद एक समय के बाद हर बेटी अपनी ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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