झूठ कहूं तो दिल तैयार नहीं होता: प्रताप सोमवंशी की कविता
पेशे से पत्रकार प्रताप सोमवंशी अपनी ग़ज़लनुमा कविताओं के लिए जाने जाते हैं. कविता ‘झूठ कहूं तो दिल तैयार नहीं ...
पेशे से पत्रकार प्रताप सोमवंशी अपनी ग़ज़लनुमा कविताओं के लिए जाने जाते हैं. कविता ‘झूठ कहूं तो दिल तैयार नहीं ...
नौ लाइनों की इस कविता को छोटी मत समझिए. अज्ञेय की यह रचना हिंदी की उन कविताओं में शामिल है, ...
हमारी भाषा कैसे-कैसे बेख़बर अत्याचार करती है. आप किसी को जलेबी जैसा सीधा कहकर उसका मज़ाक उड़ाते हैं. इस प्रचलित ...
‘लड़कियां बोझ होती हैं’ हमारे समाज की इस मानसिकता को आईना दिखाती कवि हूबनाथ पांडे की यह कविता न केवल ...
असल गांव और फ़ाइलों के गांव में क्या फ़र्क़ होता है? इसे आप अदम गोंडवी की इस छोटी-सी कविता से ...
हाल ही में साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवयित्री अनामिका की कविताएं अपने अंदर कहानियां समेटे होती हैं. वे आपसे बतियाती ...
क्या समानता हो सकती है ईश्वर और इंटरनेट में? जबकि एक ने इंसान को रचा है, दूसरे को इंसान ने ...
जेएनयू कैम्पस के अपने कवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ अपनी कविताओं से समाज के दोहरे चेहरे को उघाड़ने में ज़रा भी ...
रघुवीर सहाय की कविताएं आम आदमी के जीवन की छोटी-छोटी बातों को व्यापक अर्थों में व्यक्त करती हैं. उनकी स्त्री ...
मशहूर अनुवादक रचना भोला ‘यामिनी’ ने अपने कविता संग्रह मन के मंजीरे में आत्मिक प्रेम की अनुभूतियों को बड़ी सहजता ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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