परमात्मा का कुत्ता: लाल फीताशाही को आईना दिखाती कहानी (लेखक: मोहन राकेश)
सरकारी कामकाज की रफ़्तार किस हिसाब से बढ़ती है? सरकारी बाबुओं का रवैया कैसा होता है? कुल मिलाकर कहें तो ...
सरकारी कामकाज की रफ़्तार किस हिसाब से बढ़ती है? सरकारी बाबुओं का रवैया कैसा होता है? कुल मिलाकर कहें तो ...
कई बार हम अपने अधिकारों और दूसरों की अच्छाई का ग़लत फ़ायदा उठा जाते हैं. मीनाक्षी विजयवर्गीय की यह छोटी-सी ...
किशोरावस्था में हमारे शरीर में अचानक से कई बदलाव आने लगते हैं. शरीर में आनेवाले इन बदलावों का असर दिमाग़ ...
महजबों के बीच नफ़रत की भावना ने किस क़दर घर कर लिया है कि एक मरे हुए आदमी की आख़िरी ...
गुलकी को उसके पति ने छोड़ दिया है. उसके माता-पिता का देहांत हो गया है. वह मायके के घर आ ...
धर्म और सियासत द्वारा अपने-अपने फ़ायदे के लिए रिश्तों में नफ़रत का ज़हर घोलने का काम किया जाता रहा है. ...
बुढ़ापा अकेलेपन से भरा होता है. बुढ़ापे का अकेलापन आपसे क्या-क्या नहीं करवाता? जवान बेटे के गुज़रने के बाद सोमा ...
चोरी का शक़ सबसे सबसे पहले ग़रीब आदमी पर जाता है. शक़ और ग़लतफ़हमी की एक मार्मिक कहानी है सुभद्राकुमारी ...
जहां स्वार्थ है, वहां कभी भी सच्ची ख़ुशी नहीं आ सकती और जैसे ही हम नि:स्वार्थ भावना से काम करने ...
होली रंगों और ख़ुशियों का त्यौहार है, पर सभी के नसीब में ख़ुशियों के रंग नहीं होते. कहानी ‘होली’ एक ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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