मैं ही अवाम, जनसमूह: कार्ल सैंडबर्ग की कविता (भावानुवाद: दीपक वोहरा)
अमेरिकी कवि, इतिहासकार, उपन्यासकार और लोकगीतकार, आम जनता के कवि थे. उन्हें अपनी रचनाओं के लिए विश्वभर में सम्मानित किया ...
अमेरिकी कवि, इतिहासकार, उपन्यासकार और लोकगीतकार, आम जनता के कवि थे. उन्हें अपनी रचनाओं के लिए विश्वभर में सम्मानित किया ...
मुंह के कारोबारी जब तरक़्क़ी कर रहे हों तो ख़ामोशी से अपनी राह बनानेवालों को भला कौन पूछेगा? निदा फ़ाज़ली ...
विसंगियों के ग़ज़लकार दुष्यंत कुमार की यह ग़ज़ल कई विसंगत जोड़ियों को बेहद नज़ाकत से बताती है. जाने किस-किसका ख़्याल ...
नमक कहने को तो एक आम-सी चीज़ है, पर उसकी व्यापकता इस आम-सी चीज़ को ख़ास बनाने के लिए काफ़ी ...
देश के बच्चों को थोड़ा संभलकर चलने की सलाह देती राजेश जोशी की कविता ‘रुको बच्चों’ देश के कथित तारणहारों ...
प्रेम एक ऐसी शै है कि जिसे जितना जानो, उतना कम है. लेखक-कवि दिलीप कुमार बता रहे हैं कि कैसे ...
दलित कौन हैं? भारत के इतिहास में उनकी जगह कहां है? उनकी कथा और व्यथा क्या है? इन सवालों का ...
जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं, तब मौन का रास्ता खुला हुआ मिलता है. दुनिया की सबसे सशक्त भाषा ...
प्यार, प्यार की यादें और प्यार करनेवाले सारी दुनियादारी भुला देते हैं. ‘तमन्ना फिर मचल जाए’ जावेद अख़्तर की यह ...
बिना बोले बर्फ़ बहुत कुछ कहती है, पर उसे समझने के लिए एक कवि हृदय चाहिए. संवेदनशील कवि अरुण चन्द्र ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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