बापू: हूबनाथ पांडे की कविता
आज के भारत में महात्मा गांधी (बापू) की तलाश कर रही है हूबनाथ पांडे की कविता ‘बापू’. मैं जब तक ...
आज के भारत में महात्मा गांधी (बापू) की तलाश कर रही है हूबनाथ पांडे की कविता ‘बापू’. मैं जब तक ...
धरती हमें इतना कुछ देती है, क्या हमें भी इसे कुछ नहीं देना चाहिए? बता रही है हूबनाथ पांडे की ...
मरहूम गीतकार-कवि गोपालदास नीरस की दार्शनिकता उनकी लंबी कविता कारवां गुज़र गया में महसूस की जा सकती है. स्वप्न झरे ...
क्या होता है पानी होना? क्या है पानी का हमारे जीवन में महत्व? पानी, प्रकृति और इंसान के आपसी संबंध ...
जेएनयू परिसर के मशहूर कवि रहे रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की लंबी कविता कथा देश की में हमें भारत के साथ-साथ ...
व्यवस्था विरोधी कवियों की सूची में बाबा नागार्जुन का नाम काफ़ी ऊपर आता है. उन्होंने इंदिरा गांधी के तानाशाह शासन ...
हम सभी कभी-न-कभी कोई किताब पढ़कर रो चुके हैं. क्यों किताब हमें रोने का साहस देती है, बड़ी ही संजीदगी ...
केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘बसंती हवा’ अल्हड़ अल्मस्त बसंती हवा की आत्मकथा जैसी है. हवा हूं, हवा, मैं बसंती हवा ...
एक बेरोज़गार मन को बांचती है लोकप्रिय कवयित्री अनामिका की कविता ‘बेरोज़गार’. किसी कॉलसेंटर के घचर-पचर-सा रतजगा जीवन क्या जाने ...
मुकम्मल इंसान बनने के चक्कर में हम इतने प्राकृतिक हो गए हैं कि अपना हिस्सा मांगने में भी संकोच करने ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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