मायके लौटी स्त्री: अरुण चन्द्र रॉय की कविता
एक स्त्री के लिए मायके का क्या महत्व है, वह मायके लौटी स्त्री में आने वाले बदलावों से पता चलता ...
एक स्त्री के लिए मायके का क्या महत्व है, वह मायके लौटी स्त्री में आने वाले बदलावों से पता चलता ...
रचनात्मक विद्रोह की आवाज़ बुलंद करनेवाले कवि शिव मंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता ‘वरदान मांगूंगा नहीं’ स्वाभिमान से जीने और ...
संवेदनशीलता का चरम हमसे कविता लिखवाता है. जब हम संवेदनशील होते हैं, तब अपने आसपास की चीज़ों की बातें सुन ...
हम सभी जल्दी से जल्दी अपने घर पहुंचना चाहते हैं. घर पहुंचने के दौरान की जानेवाली यात्रा को बयां कर ...
भारत में यादें, जल्दी पुरानी हो जाती हैं. यहां तक कि हम अपना भोगा दुख तक भूल जाते हैं. जय ...
धरम की बनावट और समाज के ताने-बाने में इसकी बुनावट को कवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की यह कई परतों को ...
हम हर दिन ख़ुद को और सभ्य बनाने की कोशिश करते हैं? हमारी यह कोशिश कितनी अप्राकृतिक है, बता रही ...
मां, सिर्फ़ मां होती है, चाहे इंसान की हो या किसी और जानवर की. कविता गाय और बछड़ा में मशहूर ...
एक आम हिन्दुस्तानी की पहुंच से कितनी दूर है हिन्दुस्तान की राजधानी और वहां रहनेवाले हिन्दुस्तान के भाग्यविधाता. कवि अरुण ...
आज़ादी के कुछ साल बाद जब जनता की उम्मीदों पर पानी फिरता दिखा, तब उस दौर के कवियों, लेखकों ने ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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