पिता: नरेश चंद्रकर की कविता
पिता के होने और न होने के क्या मायने होते हैं, बता रही हैं पिता पर केंद्रित कवि नरेश चंद्रकर ...
पिता के होने और न होने के क्या मायने होते हैं, बता रही हैं पिता पर केंद्रित कवि नरेश चंद्रकर ...
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायकों में एक थीं. अंग्रेज़ों द्वारा उनके राज्य झांसी ...
ईश्वर एक है, इस सनातन सत्य को हम सभी मानते हैं. पर उसके नाम, उसकी प्रार्थनाएं और उस तक पहुंचने ...
प्रेम और आशा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. जहां प्रेम है, वहां आशा है. और दोनों को जोड़ती ...
गुलज़ार साहब की यह छोटी-सी कविता, अपने अंदर बड़े गहरे भाव छुपाए बैठी है. कई मुग़ालतों से बाहर खींच लाती ...
कवि कुंवर बेचैन की कविताएं भले ही छोटी होती थीं, पर उनकी फ़िलॉसफ़ी बहुत ही बड़ी होती थी. दूरियों और ...
बिना लाग लपेट के कविताएं करनेवाले बाबा नागार्जुन की यह कविता गांधी जी के तीनों बंदरों की उपमा के साथ ...
हर बीतते दिन के साथ, बहुत कुछ पीछे छूट जाता है. कैलेंडर के पन्नों के बदलते ही काफ़ी कुछ बदल ...
कवियों-लेखकों ने मां को परिभाषित करने का हर युग में प्रयास किया है. सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म इंस्टाग्राम पर हिंदी लिखनेवालों ...
मां कहने को तो एक शब्द है, पर जब इसे परिभाषित करने जाएं तो दुनिया के सारे शब्द कम पड़ ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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