काकी: बालमन और मनोविज्ञान की कहानी (लेखक: सियारामशरण गुप्त)
सियारामशरण गुप्त की कहानी ‘काकी’ बालमन और मनोविज्ञान को बयां करती एक छोटी-सी कहानी है. श्यामू एक छोटा बालक है....
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सियारामशरण गुप्त की कहानी ‘काकी’ बालमन और मनोविज्ञान को बयां करती एक छोटी-सी कहानी है. श्यामू एक छोटा बालक है....
हमारे यहां कहावत है ‘बच्चे-बूढ़े एक जैसे होते हैं.’ दुनिया में आए नए जीव ‘बच्चों’ और दुनिया में कुछ दिनों...
आपके बाल झड़ रहे हैं, चमक खो रहे हैं, पतले हो रहे हैं और आप बालों को स्वस्थ बनाने के...
भारत ही क्या दुनिया के हर समृद्ध कोने के पीछे विस्थापित मज़दूरों की मेहनत है. कवि अरुण चन्द्र रॉय अपनी...
रंग किसको पसंद नहीं आते? यदि आप ख़ुश हों तो मन रंगीन हो जाता है और इस रंगीनी को लोगों...
पैरेंटिंग आसान ही कब थी? ये तो हमेशा ही मुश्क़िल रही है, आप अपने बच्चे को अपने समय के मानदंडों...
ये तो हम सभी मानते हैं कि खाने-पीने का जो मज़ा सर्दियों के मौसम में है, वो दूसरे मौसमों में...
वो मुस्कुराभर दें तो आसपास का समां अपने आप सुंदर हो जाए, जेनेलिया डिसूज़ा इतनी ही ख़ूबसूरत हैं! और उनका...
‘‘मन्नू भंडारी भी चली गईं. जो लोग कभी हिंदी की छतनार दुनिया बनाते थे, वे सब अब अदृश्य होते जा...
आप यूं तो पतली/पतले हैं, पर डबल चिन की वजह से यूं लगता है, जैसे आप काफ़ी मोटी/मोटे हैं. और...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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