किसी एक दिन: हूबनाथ पांडे की कविता
धरती हमें इतना कुछ देती है, क्या हमें भी इसे कुछ नहीं देना चाहिए? बता रही है हूबनाथ पांडे की...
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धरती हमें इतना कुछ देती है, क्या हमें भी इसे कुछ नहीं देना चाहिए? बता रही है हूबनाथ पांडे की...
बिंदा लेखिका महादेवी वर्मा के बचपन की सखी थी. सौतेली मां द्वारा बात-बेबात सज़ा पानेवाली बिंदा एक दिन हमेशा-हमेशा के...
‘बुलाती है मगर जाने का नहीं’ दिवंगत शायर राहत इंदौरी की मशहूर ग़ज़लों में एक है. यह ग़ज़ल दुनियादारी की...
पानी को जिस तरह जानना चाहिए, जिस तरह पीना चाहिए और जितनी तवज्जो देनी चाहिए यदि हम वैसा करें तो...
्र यदि आप भी उन लोगों में से हैं, जिनके होंठ पतले हैं और आप उन्हें भरा-भरा दिखाना चाहती/चाहते हैं...
बचपन की प्यारी सहेली, जो किशोरवय होते-होते अपने प्रेमी संग भाग गई. जिससे न चाहते हुए, हिचकते हुए मिलना भी...
पिछले दिनों चेन्नई में आयोजित हुए टाइम्स बिज़नेस अवॉर्ड्स में अभिनेत्री बिपाशा बसु ने शिरकत की. इस अवॉर्ड फ़ंक्शन में...
अच्छी फ़िल्में कभी भी पुरानी नहीं होती. जनवरी 2021 में नेटफ़्लिक्स पर रिलीज़ हुई त्रिभंग ऐसी ही एक फ़िल्म है....
हम एक प्रतियोगी समय में रह रहे हैं. बचपन से ही अपने बच्चों को सबसे आगे देखने की हमारी इच्छा...
मरहूम गीतकार-कवि गोपालदास नीरस की दार्शनिकता उनकी लंबी कविता कारवां गुज़र गया में महसूस की जा सकती है. स्वप्न झरे...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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