मैं दीवार के ऊपर: विनोद कुमार शुक्ल की कविता
मुकम्मल इंसान बनने के चक्कर में हम इतने प्राकृतिक हो गए हैं कि अपना हिस्सा मांगने में भी संकोच करने ...
मुकम्मल इंसान बनने के चक्कर में हम इतने प्राकृतिक हो गए हैं कि अपना हिस्सा मांगने में भी संकोच करने ...
हिंदी में दलित लेखन का एक बड़ा नाम ओमप्रकाश वाल्मीकि अपनी रचनाओं में जातीय अपमान और उत्पीड़न का जीवंत चित्र ...
धरती के दूसरे जीवों से मनुष्य को क्या अलग करता है? सवाल पूछने की हमारी अनूठी क्षमता. दुनिया में आज ...
गीत चतुर्वेदी की कविता दूध के दांत बचपन से बुढ़ापे तक की यात्रा के दौरान हमारी सोच की प्रक्रिया में ...
जब जीवन में चुनौतियां मिलती हैं तो आप चुपचाप खड़े होकर उनसे जीत नहीं सकते. आपको कमर कसकर उनका सामना ...
देश लोगों से मिलकर बनता है, पर देश अपने सभी लोगों के लिए एक जैसा नहीं होता. इसकी सटीक व्याख्या ...
हैदराबाद की जानी-मानी एंडोक्राइन सर्जन डॉ संगीता झा की कविताएं थोड़ी लंबी ज़रूर होती हैं, पर उन्हें पढ़ते हुए आपके ...
अपने भूखे पेट को भरने की जुगत करते-करते एक समय आता है जब इंसान भगवान के अस्तित्व पर सवाल खड़े ...
हम आज़ादी के 75वें साल का जश्न मना रहे हैं, पर आज भी हमारे गांवों में एक बड़ा तबका अपने ...
हम चिड़ियों के बारे में पढ़ते हैं, वनस्पतिशास्त्र की किताबों में पेड़-पौधों के बारे में पढ़ते हैं. पर हम चिड़ियों ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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