हमदम: डॉ संगीता झा की कहानी
मालकिन दीपा और सचहचरी सहायिका मीरा की बोरियत से भरती जा रही ज़िंदगी में तब रोमांचक आश्चर्य की एंट्री होती ...
मालकिन दीपा और सचहचरी सहायिका मीरा की बोरियत से भरती जा रही ज़िंदगी में तब रोमांचक आश्चर्य की एंट्री होती ...
क्रांतिकारी हमेशा दूसरों के घर में ही अच्छा लगता है. यह सच्चाई उस लड़की से बेहतर कौन जान सकता है, ...
ख़ूबसूरत लड़कियों को चिढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जानेवाला एक जुमला ‘अंगूर की बेल’ कैसे एक परिवार की तीन पीढ़ियों ...
हम दुनिया को अपना जो चेहरा दिखाते हैं, क्या हमारा वह एकमात्र चेहरा होता है? डॉ संगीता झा की यह ...
धर्म और सियासत द्वारा अपने-अपने फ़ायदे के लिए रिश्तों में नफ़रत का ज़हर घोलने का काम किया जाता रहा है. ...
कई बार अंधविश्वास और मान्यताएं हमारे दिमाग़ में इस क़दर घर बना लेते हैं कि उनके चक्कर में हम किसी ...
समय के साथ रिश्ते बदल जाते हैं. तीज-त्यौहार तो वही रहते हैं, पर उन्हें मनाने का रंग-ढंग बदल जाता है. ...
एक बेवफ़ा पति, एक समर्पित पत्नी, अपने बेटे को प्यार करने वाली सास. शादीशुदा जोड़े की दो बेटियां. दशहरे का ...
एक अपराजिता कैसे समय के साथ समाज से हार मान लेती है? कैसे आज भी एक पढ़ी-लिखी और आज़ाद ख़्याल ...
क्या है एक ज़िंदादिल नानी की वह कहानी, जो उसे अक्सर परेशान करती है? पढ़ें, डॉ संगीता झा की कहानी ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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