राम तुम्हारे युग का रावण अच्छा था: प्रताप सोमवंशी की कविता
पत्रकार-कवि प्रताप सोमवंशी की ग़ज़लनुमा कविताएं छोटी होती हैं, पर उनकी मारक क्षमता ग़ज़ब की होती है. उनके कविता संग्रह ...
पत्रकार-कवि प्रताप सोमवंशी की ग़ज़लनुमा कविताएं छोटी होती हैं, पर उनकी मारक क्षमता ग़ज़ब की होती है. उनके कविता संग्रह ...
हिंदू धर्म की गहराई को हिंदुओं से भी अधिक समझने वाले कवि और लेखक राही मासूम रज़ा गंगा-जमुनी तहज़ीब के ...
समाज ही नहीं, साहित्य जगत में भी अच्छे लेखकों को दलित और पिछड़ी जातियों से होने का खामियाज़ा भुगतना पड़ता ...
अदम गोंडवी आम आदमी के कवि थे. आवाम की तकलीफ़ हमेशा उनकी कलम का हिस्सा रही. अपनी कविताओं से उन्होंने ...
आदर्श रूप से देखें तो पत्रकारिता एक ज़िम्मेदारी और चुनौतीभरा पेशा है. यह चुनौतियां और ज़िम्मेदारियां दोगुनी हो जाती हैं, ...
विपरीत समय में प्रेम ही आशा बनकर जीने का उत्साह देता है. प्रेम मिलने को ख़ूबसूरती से जताती है पंकज ...
बुरे से बुरे समय में एक कवि की दृष्टि अच्छी चीज़ें तलाश लेती है. पंकज चतुर्वेदी की यह छोटी-सी कविता ...
हम भारतीय अपने पुरुषत्व को लेकर कितने सजग रहते हैं, पंकज चतुर्वेदी की यह कविता बिना दिल के होते जा ...
यूनाइटेड नेशन्स में वक़्ता, टेड वक्ता, शिक्षाविद्, लेखक, अभिनेता और गीतकार दीपक रमोला के कविता संग्रह ‘इतना तो मैं समझ ...
पेशे से पत्रकार प्रताप सोमवंशी अपनी ग़ज़लनुमा कविताओं के लिए जाने जाते हैं. कविता ‘झूठ कहूं तो दिल तैयार नहीं ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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