उतनी दूर पिया तू मेरे गांव से: कुंवर बेचैन की कविता
भारतीय काव्य जगत में विरह की कविताओं की अपनी एक विशेष जगह है. कवि कुंवर बेचैन की कविता ‘उतनी दूर ...
भारतीय काव्य जगत में विरह की कविताओं की अपनी एक विशेष जगह है. कवि कुंवर बेचैन की कविता ‘उतनी दूर ...
अमेरिकी रक्षा विभाग में वरिष्ठ अभियंता हरीबाबू बिन्दल एक आला कवि भी हैं. अमेरिकी निवासी भारतीय रचनाकारों के काव्य संकलन ...
‘इन बूढ़े पहाड़ों पर, कुछ भी तो नहीं बदला’ गुलज़ार साहब का लिखा ग़ैरफ़िल्मी गीत है, जिसमें बीच-बीच में उनकी ...
जितनी तक़लीफ़ें, यातनाएं एक वृक्ष को सहनी पड़ती हैं, उतनी हम मनुष्यों को नहीं. फिर भी वृक्ष के बीज हमेशा ...
जीवन यानी विरोधाभास. इन्हीं विरोधाभासों को एक कवि, एक शायर अपनी रचना में जगह देता है. दिवंगत दुष्यंत कुमार की ...
भाग-दौड़ से भरे इस यांत्रिक जीवन में आदमी क्या से क्या हो गया है? शायर निदा फ़ाज़ली की यह मशहूर ...
एक लेखक को अपनी मेहनत का सही मोल नहीं मिल पाता. और जो मिलता भी है उसके लिए प्रकाशक की ...
वृक्ष हमारी स्वार्थपरकता का साक्षात गवाह है. जब तक हम जीवित रहते हैं, उसके फल, फूल, छाया का आनंद लेते ...
अकेली रह रही औरतें, अपनी प्रतिभा के दम पर घर के बाहर नाम कमाती औरतें समाज की नज़रों में हमेशा ...
उर्दू शायरी को उसकी नफ़ासत के लिए जाना जाता है. उर्दू शायर शायरी के अपने सलीके के लिए जाने जाते ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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