इतने भले नहीं बन जाना साथी: वीरेन डंगवाल की कविता
बहुत ज़्यादा भला होना भी बुरा होता है. बहुत ज़्यादा चालाक होना तो ग़लत है ही. बहुत ज़्यादा दुर्गम तो...
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बहुत ज़्यादा भला होना भी बुरा होता है. बहुत ज़्यादा चालाक होना तो ग़लत है ही. बहुत ज़्यादा दुर्गम तो...
समय के साथ रिश्ते भी बदल सकते हैं, बता रही है महीप सिंह की रचना ‘काला बाप गोरा बाप’. अपनी...
जब आप डायट पर हों या हल्का खाना खाने का मन हो, तब तरबूज़ का ये तरोताज़ा कर देने वाला...
प्रेम की मिठास और कड़वाहट का स्वाद एक साथ चखाती है केदारनाथ सिंह की कविता तुम आयीं. तुम आयीं जैसे...
एक नेत्रहीन महिला की आंखों की ज्योति लौटने और दोबारा चली जाने की करुण कहानी. साथ ही कहानी यह भी...
आम आदमी की भाषा और मनोभावना के कवि कहलानेवाले हरिवंश राय बच्चन की छोटी-सी कविता ‘क्या भूलूं, क्या याद करूं...
किसान और किसानी की दुर्दशा पर मुंशी प्रेमचंद से ज़्यादा भला किसने लिखा होगा. कहानी बलिदान भले ही आज़ादी के...
कहानी अच्छे-ख़ासे पढ़े लिखे पुरुषों को अपने इशारे पर नचानेवाली मीरा की. क्या होता है उस रोज़ सड़क पर, जो...
बचपन में हमें एक कहानी सुनाई गई थी, जिसमें तोते को उसका मालिक रटा देता है – शिकारी आएगा, जाल...
हाल के समय मे व्यावहारिक स्थितियों को बयान करती बेहद चुभनेवाली कविताओं की रचना कर रहे हैं युवा दलित कवि...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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