सवाल सीधा है कि क्या ईद पर आपको भी हामिद की याद आ जाती है? यदि आपका जवाब ‘हां’ है...
लोकतंत्र में जन सरोकारों को सत्ता तक पहुंचाने में व्यंग्य का बड़ी अहम् भूमिका होती है. व्यंग्य के ज़रिए सत्ता...
पुनर्जागरण काल में जब लोगों के भीतर मानवतावाद और तार्किक वैज्ञानिक खोजों पर बल देने वाली प्रवृत्ति जागृत हुई, तब...
रंगमंच यानी थिएटर को समाज का आईना कहा जाता है. पिछले दिनों 51वां विश्व रंगमंच दिवस मनाया गया. इस ख़ास...
यह सच है कि महिलाओं को सदियों से ग़ैर-बराबरी का सामना करना पड़ा है, जिसकी वजह से आज भी अधिकांश...
व्यंग्य हर दौर में पसंद किया जाता रहा है, क्योंकि इसके ज़रिए उन बातों पर बड़े इत्मीनान से करारी चोट...
हमारे कई पाठकों और लेखकों को फ़िक्शन अफ़लातून प्रतियोगिता के बारे में देर से मालूम हुआ, जिसकी वजह से उनके...
जब हमें जीतना हो तो सबसे पहली शर्त होती है कि अपने संघर्षों को बेहद ध्यान से चुना जाए, ताकि...
आगामी 24 मार्च और 25 मार्च को दिल्ली में ITO के नजदीक सुरजीत भवन में पहले वैखरी का आयोजन होने...
अपनी भावनाएं दूसरों तक पहुंचाने और दूसरों के सुख-दुख को समझने के लिए कहानियों के पुल से बेहतर भला क्या...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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