बापू: हूबनाथ पांडे की कविता
आज के भारत में महात्मा गांधी (बापू) की तलाश कर रही है हूबनाथ पांडे की कविता ‘बापू’. मैं जब तक ...
आज के भारत में महात्मा गांधी (बापू) की तलाश कर रही है हूबनाथ पांडे की कविता ‘बापू’. मैं जब तक ...
धरती हमें इतना कुछ देती है, क्या हमें भी इसे कुछ नहीं देना चाहिए? बता रही है हूबनाथ पांडे की ...
व्यवस्था विरोधी कवियों की सूची में बाबा नागार्जुन का नाम काफ़ी ऊपर आता है. उन्होंने इंदिरा गांधी के तानाशाह शासन ...
केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘बसंती हवा’ अल्हड़ अल्मस्त बसंती हवा की आत्मकथा जैसी है. हवा हूं, हवा, मैं बसंती हवा ...
एक बेरोज़गार मन को बांचती है लोकप्रिय कवयित्री अनामिका की कविता ‘बेरोज़गार’. किसी कॉलसेंटर के घचर-पचर-सा रतजगा जीवन क्या जाने ...
जब जीवन में चुनौतियां मिलती हैं तो आप चुपचाप खड़े होकर उनसे जीत नहीं सकते. आपको कमर कसकर उनका सामना ...
देश लोगों से मिलकर बनता है, पर देश अपने सभी लोगों के लिए एक जैसा नहीं होता. इसकी सटीक व्याख्या ...
एक औरत को मरने की भी फ़ुर्सत नहीं होती, ख़ासकर जब वह मां होती है. लोकप्रिय कवयित्री अनामिका की कविता ...
एक स्त्री के लिए मायके का क्या महत्व है, वह मायके लौटी स्त्री में आने वाले बदलावों से पता चलता ...
एक आम हिन्दुस्तानी की पहुंच से कितनी दूर है हिन्दुस्तान की राजधानी और वहां रहनेवाले हिन्दुस्तान के भाग्यविधाता. कवि अरुण ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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