किताबें झांकती हैं बंद आलमारी के शीशों से: गुलज़ार की कविता
इंसानी सभ्यता को नए स्तर पर पहुंचानेवाली किताबें, टेक्नोलॉजी के दौर में पीछे छूट रही हैं. कभी हमारे हाथों में ...
इंसानी सभ्यता को नए स्तर पर पहुंचानेवाली किताबें, टेक्नोलॉजी के दौर में पीछे छूट रही हैं. कभी हमारे हाथों में ...
जिस दिन दुनिया चलाने की ज़िम्मेदारी औरत के कंधों पर आएगी, उस दिन दुनिया कैसी होगी? इस कल्पना में शब्द ...
मनुष्य को दूसरे जीव-जंतुओं से श्रेष्ठ क्यों माना गया है? एक सच्चे मनुष्य और उसकी मनुष्यता की तमाम परिभाषाएं बता ...
तेज़ी से बदल रहे शहरी, ग्रामीण और क़स्बाई लैंडस्केप को शब्दों के कैनवास पर उतारती अरुण कमल की कविता ‘नए ...
अठारहवीं सदी के शायर-कवि नज़ीर अकबराबादी को आम आदमी का कवि कहा जाता था. अपनी लोकप्रिय रचना आदमी नामा में ...
अरुण चन्द्र रॉय की कविता ‘डरता हूं मेरे बच्चे’ बयां करती है एक मध्यवर्गीय कस्बाई पिता का भय. कार्टून चैनलों ...
गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर कविता ‘आत्मत्राण’ में ईश्वर से बात कर रहे हैं. वे ईश्वर से दुख, हानि, मुसीबत आदि से ...
चाहे लाख कोशिश कर लें संघर्ष करके अपने बूते पर सफलता हासिल करनेवालों को कोई हरा नहीं सकता. ऐसे ही ...
हर बीतते दिन के साथ हम कहते हैं कि दुनिया बदल रही है और यहां जीना कठिन होता जा रहा ...
बीते हुए समय की सुखद यादों को पकड़कर रखने से वर्तमान का दुख और भी बढ़ जाता है. आप चाह ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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